सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद दु:खभाग भवेत्|
स्मार्त और वैष्णव में भेद -प्रायः पंचांगो में एकादशी व्रत , जन्माष्टमी व्रत स्मार्त जनों के लिए पहले दिन और वैष्णव लोगों के लिए दुसरे दिन बताया जाता है । इससे जनसाधारण भ्रम में पड जाते हैं । दशमी तिथ का मान ५४ घटी से ज्यादा हो तो वैष्णव जन द्वादशी तिथी को व्रत रखते हैं । अन्यथा एकादशी को ही रखते है । इसी तरह स्मार्त जन अर्ध्दरात्री को अष्टमी पड रही हो तो उसी दिन जन्माष्टमी मनाते है । जबकी वैष्णवजन उदया तिथी को जन्माष्टमी मनाते हैं , एवं व्रत भी उसी दिन रखते है । जो व्यक्ति श्रुति स्मृति में विश्वास रखता है , पंचदेव अर्थात ब्रह्मा ,विष्णु , महेश , गणेश , उमा को मानता है , वह स्मार्त हैं । जो किसी वैष्णव सम्प्रदाय के गुरु या धर्माचार्य से विधीवत दिक्षा लेता है , तथा गुरु से कंठी या तुलसी माला गले में ग्रहण करता है या तप्त मुद्रा से शंख चक्र का निशान गुदवाता है । ऐसे व्यक्ति ही वैष्णव कहे जा सकते है । अतः साधू सन्यासी विधवाओं को तथा जो वैष्णव संप्रदाय के किसी धर्माचार्य से दिक्षा ली हो ऐसे व्यक्ति को ही दूसरा व्रत अपनाना चाहिए । बाकी सभी स्मार्त है।
श्री वैष्णव एकादशी व्रत
श्री गुरुवे नमः
श्री वैष्णव एकादशी व्रत
कार्तिक कृष्ण ११ रम्भा एकादशी २3 अक्टूवर २०11 को.
कार्तिक शुक्ल ११ प्रबोधिनी एकादशी ०6 नवम्वर २०11 को.
मार्गशीर्ष कृष्ण ११ उत्पन्ना एकादशी २1 नवम्वर २०11 को.
मार्गशीर्ष शुक्ल ११ मोक्षदा एकादशी ०6 दिसम्वर २०11 को.
पौष कृष्ण ११ सफला एकादशी मंगलवार २1 दिसम्वर २०11 को.
पौष शुक्ल ११ पुत्रदा एकादशी बुधवार 5 जनवरी २०12 को.
माघ कृष्ण ११ षट्तीला एकादशी गुरूवार 19 जनवरी २०12 को.
माघ शुक्ल ११ जया एकादशी शुक्रवार 3 फरवरी 2012 को.
फाल्गुन कृष्ण ११ विजया एकादशी शुक्रवार 18 फरवरी 2012 को.
फाल्गुन शुक्ल ११ आमलकी एकादशी रविवार 4 मार्च 2012 को.
चैत्र कृष्ण ११ पापमोचनी एकादशी रविवार 18 मार्च २०12 को.